जहा तक नजर है वाहा तुम ही तुम हो ,
की पहले भी तुम थे के तुम बाद में ही
याहा तक उमर है वाह तुम ही तुम हो
धरती में अम्बर में नदियों में सागर में
सूरज की गर्मी में कलियों की नरमी में,
तारो की बस्ती में लहरो की मस्ती में,
मोसम की धडकन में लम्हों की थिरकन में,
जहा तक असर है वाहा तुम ही तुम हो ,
जहा तक नजर है वाहा तुम ही तूम हो
जहा तक डगर है वाहा तुम ही तुम ही
रिश्तो में नातो में सपनो की रातो में ,
आशा निराशा में दिल की दिलाशा में,
भावो के बंधन में खुशियों के आंगन में,
जीवन के वर्षो में अटके संगर्शो में
जहा तक असर है वाहा तुम ही तुम हो ,
As far as I see you are you,
that you were before, that you were after
yaha tak umar hai wow you are you
In the earth in the amber in the rivers in the ocean
In the softening of the buds in the heat of the sun,
In the fun of the waves in the township of Taro,
In the beat of the weather, in the beat of the moments,
As far as the effect is concerned, you are you,
As far as I see you are you
As far as the distance is there, you are the only one
In relationships, in nato, in dream nights,
Hope in despair, in the heart’s comfort,
In the courtyard of happiness in bondage of feelings,
In the struggles stuck in the years of life
As far as the effect is concerned, you are you,