जबसे पिलाई गुरु वर ने कृष्णा के नाम की,
आद्दत सी पड़ गई मुझे मस्ती के जाम की,
जबसे पिलाई गुरु वर ने कृष्णा के नाम की,
पीते ही प्याला नाम काम सुमिरन से जुड़ गया,
चिंता से छूट कर ये मन चिंतन से जुड़ गया,
अब भेद है किसे यह दुनिया के काम के,
जबसे पिलाई गुरु वर ने कृष्णा के नाम की,
मुँह से व्यान क्या करू लिख के बताओ क्या,
बस इतना जान लीजिये सब कुछ बदल गया,
हर आदमी में देखि है सूरत वो श्याम की ,
जबसे पिलाई गुरु वर ने कृष्णा के नाम की,
प्रभु प्रेम ये बना रहे भक्ति बनी रहे,
हिर्दय में शांत के सदा भगति बनी रहे,
गुरु देव लाज रखिये गा मैं के गुलाम के,
जबसे पिलाई गुरु वर ने कृष्णा के नाम की,
Ever since the Guru Vara gave the drink in the name of Krishna,
I got used to the jam of fun,
Ever since the Guru Vara gave the drink in the name of Krishna,
As soon as he drank, the name of the cup became associated with Kama Sumiran,
By getting rid of worry, this mind got attached to contemplation,
Now there is a difference to whom this world’s work is,
Ever since the Guru Vara gave the drink in the name of Krishna,
Tell me what should I do with my mouth?
Just know that everything has changed,
Every man has seen that face of Shyam,
Ever since the Guru Vara gave the drink in the name of Krishna,
May the love of the Lord remain, remain devotion.
May there always be peace in the heart,
Gurudev, keep the shame of my slave,
Ever since the Guru Vara gave the drink in the name of Krishna,