सिर पे साफा कन्धे पे झोली अद्बुत रूप बनाया है,
ओ रे जग के रचैया खेल खिवैया तेरा खेल समज न आया है,
अपना घर न कभी ना बनया लाखो को घर बार दिए,
नीम के निचे आ कर बाबा शिर्डी का उधार किये,
साचा दवार कमाई झोली तुमने उठाई तूने धुनी अखंड जलाया है,
ओ रे जग के रचैया खेल खिवैया……
कोई तुझको हिन्दू कहता कोई मुस्लिम कहता है,
सबका मालिक एक तू ही सबके दिल में रहता है,
बाबा तेरी समादी हरती है सब वयादी मन हर ने तेरा गुण गया है,
ओ रे जग के रचैया खेल खिवैया…
सिर पे साफा कन्धे पे झोली अद्बुत रूप बनाया है,
ओ रे जग के रचैया खेल खिवैया तेरा खेल समज न आया है,
Safa on the head has made a wonderful form on the shoulder,
O re jag ke rachaiya khel khivaiya tera game is not understood,
Never built your house, gave it to millions of houses,
Baba came under Neem and lent to Shirdi.
You have raised your pocket of earning money, you have burnt the smoke unbroken,
O re jag ke rachaiya khel khivaiya……
Some call you a Hindu, some call you a Muslim,
You are the master of all, only you remain in everyone’s heart.
Baba destroys your samadi, every time your mind has lost your virtue,
O Re Jag Ke Rachaiya Khel Khivaiya…
Safa on the head has made a wonderful form on the shoulder,
O re jag ke rachaiya khel khivaiya tera game is not understood,