जय जय शिव नंद गणेश जी
तर्ज़- है प्रीत जहां की रीत सदां
जय हो जय हो,जय हो जय हो, जय हो जय हो,
जय हो लाल जी…..
जय जय शिवनंद गणेश जी, असीं तेरा नाम ध्यान्दे हां,
असीं त्रिलोकी दे दाते नूँ, हथ जोड़ के शीश झुकाउंदे हाँ,
जय हो जय हो ……..
तूँ सर्व कला दा मालिक है तेरी मूसे दी सवारी है,
मस्तक पे तिलक विराजे है सिर मुकुट की शोभा न्यारी है,
करके पूजा शिवनंदन की,असीं अपने- भाग्य जगांदे हाँ,
असीं त्रिलोकी दे दाते नूँ,,,,,,
जय हो जय हो,,,,,,
कई भुल्लां भुल्लन हार करण फिर माफ़ करें तूँ ऐ दाता,
कोई खाली ना जावे दर तो इंसाफ करे तूँ ऐ दाता,
तेरा दित्ता ही सब खांदे ने,असीं अपना- भार चुकांदे हां,
असीं त्रिलोकी दे दाते नूँ,,,,,,
जय हो जय हो,,,,,,
पण्डित देव शर्मा बृजवासी
श्री दुर्गा संकीर्तन मण्डल
रानियां(सिरसा)
७५८९२१८७९७
Jai Jai Shiv Nand Ganesh Ji
Tarz- Hai Preet Jahan Ki Rit Sadan
Jai ho Jai ho,Jai ho Jai ho, Jai ho Jai ho,
Jai Ho Lal Ji.
Jai Jai Shivnand Ganesh Ji, Asin Tera Naam Dhyande Haan,
We bow our heads to the Giver of the three worlds, with folded hands,
Jai ho Jai ho.
You are the master of all arts and your Moses is the rider,
Mastak pe tilak viraje hai sir mukut ki shobha nyari hai,
By worshiping Shivananda, we awaken our destiny,
We are the giver of the three worlds,,,
Jai ho Jai ho,,,
Kai Bhullan Bhullan Har Karan Phir Maaf Kare Tu Aye Daata,
Koi Khali Na Jave Dar To Insaaf Kare Tu Aye Daata,
Tera ditta hi sab khande ne,asi apna- bhar chukande haan,
We are the giver of the three worlds,,,
Jai ho Jai ho,,,
Pandit Dev Sharma of Brij
Sri Durga Sankirtan Mandal
Raniyan (Sirsa)