जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
गाडी निकल गयी तो, घर से चला मुसाफिर
मायूस हाथ मलता वापिस बैरंग आया
मन की मशीनरी ने जब ठीक चलना सीखा
तब बूढ़े तन के हर इक पुर्जे में जंग आया
फुर्सत के वक़्त में ना सुमिरन का वक़्त निकला
उस वक़्त वक़्त माँगा जब वक़्त तंग आया
आयु ने नत्था सिंह जब हथियार फेंक डाले
यमराज फ़ौज लेकर करने को यंग आया
कवि : नत्था सिंह
स्वर : श्री प्रेम भूषन जी महाराज
When life ends, there is a way to live
When Shama was extinguished, color came in the gathering
If the car leaves, then the passenger leaves the house
Disappointed hand, came back bitter
When the machinery of the mind learned to walk properly
Then there was a rust in every part of the old body.
In the time of leisure, there was no time for Sumiran
Asked for a time when time got tight
Ayu threw the weapon when Natha Singh
Yamraj came young to take the army
Poet : Natha Singh
Vocal : Shri Prem Bhushan Ji Maharaj