झूठी गर्दन हिलाते हो कीर्तन में क्यूं ,
भक्ति करने को सच्चा जिगर चाहिए ,
खींचा दौड़ा – चला आएगा सांवरा,
तेरी आंहो में इतना असर चाहिए ,
कामयाबी की सीढ़ी अगर तुम चढ़े,
होंगे दुश्मन कई रास्ते में खड़े ,
हार जाएंगे वो जिनकी टेढ़ी नजर,
उस मेहरबां की सीधी नजर चाहिए,
दिल से जो श्याम का श्याम उसका बना,
भक्ति निष्काम हो काम उसका बना ,
कौन कहता है सांवरिया आता नहीं ,
तुझको भिलनी के जैसा सब्र चाहिए ,
पाप करके तू खुद को भला मानता ,
कितने पानी में है तू वो सब जानता ,
जो पलटती है पल – पल में दुनिया है वो,
इससे लड़ने का तुझको हुनर चाहिए ,
है समय कर ले पापों का तू खात्मा ,
काल बंधन से अपनी छुड़ा आत्मा ,तन का ना धन का भरोसा कोई,
करनी आगे की तुझको फिक्र चाहिए ,
Why do you shake your false neck in kirtan?
A true liver is needed to do devotion.
Dragged and ran – Sawara will come,
You need so much effect in your eyes,
If you climb the ladder of success,
Enemies will be standing in many paths,
Those whose crooked eyes will be defeated,
That kindness needs a direct eye,
The shyam’s shyam became his from the heart,
Devotion should be selfless, work should be done by him,
Who says Saawariya does not come,
You need patience like Bhilni,
By sinning you consider yourself good,
How much water is there, you know all that,
The one who turns moment by moment is the world,
You need the skill to fight it,
It’s time to end your sins,
Free your soul from the bondage of time,
“Narsi” no one trusts of body nor money,
You need to worry about doing next,