जिनका मैया जी के, चरणों से संबंध हो गया,
उनके घर में आनंद ही, आनंद हो गया,
माँ की शक्ति को जो भी, प्रणाम करते,
माँ की भक्ति में मन को, जो भी रंगते,
माँ की किरपा से तन मन प्रसन्न हो गया,
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया,
जो भी श्रद्धा से आता माँ के दरबार में,
कभी ठोकरे ना खाए इस संसार में,
उसका रास्ता बुराई का बंद हो गया,
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया,
उनके घर में आनंद ही, आनंद हो गया,
माँ को ध्यानु ने ध्याया है सुर ताल से,
निकले भक्ति के स्वर उसकी खड़ताल से,
माँ का गुणगान छैनो का छंद हो गया,
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया,
माँ की ज्योति मिटाती है अंधकार को,
कोई विरला ही जाने लख्खा माँ के प्यार को,
ॐ शर्मा को दर ये पसंद हो गया,
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया,स्वरलखबीर सिंह लक्खा
Those who became related to the feet of Maya ji,
There was joy in their house, there was joy,
Whoever bows to the power of mother,
Whatever paints the mind in the devotion of the mother,
The body and mind were pleased with the grace of the mother,
There was joy in their house,
Whoever comes with reverence in the court of the mother,
Never stumble in this world,
His path was closed by evil,
There was joy in their house,
There was joy in their house, there was joy,
Dhyanu has meditated on the mother with a melody,
The voices of devotion emanated from his stand,
Chano’s verse became the praise of mother,
There was joy in their house,
Mother’s light erases the darkness,
Rarely does anyone know the love of a mother,
Sharma liked this rate,
There was joy in his house, Swarlakhbir Singh Lakha