जिसने मरना सीखा लिया है,
जीने का अधिकार उसी को
जो काँटों के पथ पर आया,
फूलों का उपहार उसी को
जिसने गीत सजाये अपने,
तलवारों के झन-झन स्वर पर
जिसने विप्लव राग अलापे,
रिमझिम गोली के वर्षण पर
जो बलिदानों का प्रेमी है,
जगती का प्यार उसी को
हँस-हँस कर इक मस्ती लेकर,
जिसने सीखा है बलि होना
अपनी पीड़ा पर मुस्काना,
औरों के कष्टों पर रोना
जिसने सहना सीख लिया है,
संकट है त्यौहार उसी को
दुर्गमता लख बीहड़ पथ की,
जो न कभी भी रुका कहीं पर
अनगिनती आघात सहे पर,
जो न कभी भी झुका कहीं पर
झुका रहा है मस्तक अपना यह,
सारा संसार उसी को
who has learned to die,
the right to live
Who came on the path of thorns,
gift of flowers
Whoever sings his song,
on the sound of swords
The one who chanted the rage of rebellion,
on the precipitation of drizzle bullet
who is a lover of sacrifices,
Jagti’s love to him
Laughing and having fun,
one who has learned to be sacrificed
smile at your pain,
weeping over the sufferings of others
who has learned to endure,
The trouble is the festival itself
Inaccessibility of lakhs of rugged paths,
who never stopped somewhere
Suffering countless traumas,
who never bowed down somewhere
It is bowing its head,
the whole world to him