जो श्याम पर फिदा हो, उस तन को ढूंढते हैं
घर श्याम का हो जिसमे उस मन को ढूंढते हैं,
जो भी तू जाये प्रीतम की याद में बिरहा में,
जीवन भी ऐसे देके जीवन को ढूंढते हैं,
जो श्याम पर फिदा हो, उस तन को ढूंढते हैं
सुख शांति में सूरत में मति में तथा प्रतीतक में,
परणो की प्राण गति में मोहन को ढूंढते हैं,
जो श्याम पर फिदा हो, उस तन को ढूंढते हैं
भंधता है जिस में आकर बह ब्रहम मोक बंधन,
उस प्रेम के अनोखे बंधन को ढूंढ़ते है,
जो श्याम पर फिदा हो, उस तन को ढूंढते हैं
अहो की जो घटा हो दामनी हो दर्द दिल की,
रस बिंदु बरसे जिस से उस धन को ढूंढते हैं,
जो श्याम पर फिदा हो, उस तन को ढूंढते हैं
स्वरश्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी महाराज
Those who are enamored of shyam, find that body
The house should be of Shyam, in which we find that mind,
Whatever you go, in memory of Pritam in Birha,
Life also seeks life by giving it like this,
Those who are enamored of shyam, find that body
In happiness, in peace, in mind and in Prattak,
Looking for Mohan in the life force of Parano,
Those who are enamored of shyam, find that body
In which Brahman comes and flows, Mok bondage,
Searching for that unique bond of love,
Those who are enamored of shyam, find that body
Whatever happens in the ego, there is pain in the heart,
Ras Bindu rained from which we find that wealth,
Those who are enamored of shyam, find that body
Swarshree Gaurav Krishna Goswami Ji Maharaj