जो स्वर्ग देखना चाहते है,
वो कम्पिल जी आ जाते है,
जिन प्रभु की नगरी कम्पिल जी,
जिन प्रभु यहाँ मिल जाते है,
यहाँ प्रभु विराजे कण कण में वो कष्ट निवारे इक शन में,
वो वसे यहाँ रोम रोम वो शिखर में है जड़ में है,
जो मन में उनका ज्ञान धरे जिनप्रभु उन्हें मिल जाते है,
जिन प्रभु की नगरी कम्पिल जी,
जिन प्रभु यहाँ मिल जाते है,
जिन प्रभु का सच्चा दर है ये,
प्रभु विमल नाथ का दर है ये,
जग पूज रहा जिन मंत्रो से संगीत का ऐसा स्वर है ये,
जिन प्रभु की नगरी कम्पिल जी,
जिन प्रभु यहाँ मिल जाते है,
who want to see heaven,
That Kampil ji comes,
Whose city of Lord Kampil ji,
The Lord who meets here,
Here Lord resides in every particle,
That’s where Rome Rome is, that’s in the top, it’s in the root,
Those who hold their knowledge in their mind, they get the Lord,
Whose city of Lord Kampil ji,
The Lord who meets here,
The Lord whose true rate is this,
This is the rate of Lord Vimal Nath,
The world is worshiped by the mantras from which there is such a tone of music,
Whose city of Lord Kampil ji,
The Lord who meets here,