कहे कृष्ण मोरधुज राजा,
तुम सब भक्तन सिर ताजा ,
साधुन का वेश बनाये ,
हम द्वार तुमारे आये जी,
संग में बन सिंघ बिराजा ,
हम भोजन हट में कीना ,
सुत बदन काट तुमदीनाजी,
निज धर्म बचन के काजा ,
सब रुदन करे नरनारी ,
तुम धीरज मन मेंधारीजी,
सब तजी जगत की लाजा,
यह देख भक्ति व्रत तेरा,
अति हर्ष भया मन मेराजी,
ब्रह्मानन्द सबी दुख भाजा ,
Say Krishna Mordhuj Raja,
All you devotees head fresh,
disguise himself as a saint,
We came to your door
Ban Singh Biraja in the company,
We eat in the hut,
Tumdinaji,
Because of my religion,
Everyone cry Narnari,
You are patient in mind,
The shame of the whole world,
Seeing this your devotional fast,
Very happy mind my dear,
Brahmanand all sorrows,