कलयुग ऐ कैसी उलटी गंगा भहा रहा है,
माता पिता को श्रवण ठोकर लगा रहा है,
कलयुग ऐ कैसी उलटी………
त्रेता में एक ही रावण जिसने चुराई एक सीता,
घर घर में आज रावन सीता चुरा रहा है,
कलयुग ऐ कैसी उलटी ……….
सुनलो मेरी बहनों रहना ज़रा संबल के,
हाथो में पापी राखी बना रहा है,
कलयुग ऐ कैसी उलटी…….
घर में लगा है पर्दा बाज़ार में पर्दा,
ये पतनी कमाने जाए और पति रोटी बना रहा है,
कलयुग ऐ कैसी उलटी …….
बच्चे गरीब के तो रोटी को है तरस ते,
हमारे सेठ जी का कुत्ता बर्फी उड़ा रहा है,
कलयुग ऐ कैसी उलटी……
Kalyug, O how inverted Ganga is flowing,
Listening to parents is stumbling,
Kalyug oh how inverted………
There is only one Ravana in Treta who stole a Sita,
Today Ravana is stealing Sita from house to house,
Kalyug oh how inverted………
Listen, my sisters, have some strength,
The sinner is making Rakhi in his hands,
Kalyug oh how inverted…….
There is a curtain in the house, there is a curtain in the market,
This wife goes to earn and husband is making bread,
Kalyug oh how inverted…….
Children have a craving for bread for the poor,
Our Seth ji’s dog is blowing barfi,
Kalyug oh how inverted……