सिर पे पटका बदन पे चोला कैसा वो निराला रे,
खोलते है साई बाबा क़िस्मत का ताला,
जिस बंदे पे साई ने नजरो को डाला रे,
खुल गई उस की लोटरी कैसी जादू डाला रे,
हाथ में चिलम बगल में चिमटा साई का शृंगार है,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई शिरडी सब का दरबार है,
भोला भाला शंकर साई वही मुरली वाला रे,
खोलते है साई बाबा क़िस्मत का ताला
कभी पालकी पर वो बैठे कभी नीम की छाव रे,
बिक्शा मांगे घर घर साई वो भी नंगे पाँव रे,
पानी से दीपक जला कर कियो शिरडी में उजाला रे,
खोलते है साई बाबा क़िस्मत का ताला
Head pe patka body pe chola kaise woh nirala re,
Sai Baba opens the lock of luck,
The man on whom Sai cast his eyes,
His lottery opened, what kind of magic did you cast?
Chillam in hand, Tongs beside Sai’s adornment,
Hindu Muslim Sikh Christian Shirdi is the court of all,
Bhola Bhala Shankar Sai Wahi Murli Wala Re,
Sai Baba opens the lock of luck
Sometimes he sat on the palanquin, sometimes the shade of neem was there,
Ask for biksha from house to house, that too barefoot re,
By lighting a lamp with water, let there be light in Shirdi,
Sai Baba opens the lock of luck