हूँ पतित मैं कोटि जन्म से
नाथ सच तो यह है कि
तुमको पुकारा नहीं
आ ही जाते
हृदय पट खोले नहीं
मन मंदिर में
तुमको पधारा नहीं
तेरे मिलने में तो
कोई देरी नहीं
ऐसी भक्ति बनी
नाथ मेरी नहीं
न किये अर्पित
भाव पुष्प कभी ,
कभी तेरी मूरत को
सिंगारा नहीं
हूँ पतित ……
हृदय में भरी रही
जगत की कामना
न ही जप तप बना
न कोई साधना
न मिली कोई फुर्सत
इस जगत से कभी,
नज़र भर तुमको
निहारा नहीं
हूँ पतित ……
तेरी पकड़ी न राह
न उठे यह कदम
हृदय रमता रहा
वासना में हर दम
डूबती जा रही
भँवर में नैया मेरी
बिन तेरे कोई भी
सहारा नहीं
हूँ पतित मैं कोटि जन्म से
नाथ सच कहती हूँ
तुमको भाव से पुकारा नहीं
आ ही जाते
हृदय पट खोले नहीं
मन मंदिर में
तुमको पधारा नहीं।
in meeting you no delay such a devotion Nath is not mine not devoted ever flower, never your idol not singara I am fallen……
filled with heart wish of the world nor does chanting become austerity no meditation didn’t get any chance ever from this world, look at you not looking I am fallen……
Your way is not caught don’t take this step heart pounding lust at all times drowning Naya meri in the whirlpool no one without you no help I am impure by birth Nath tell the truth didn’t call you affectionately would come heart does not open in man temple You did not come