मोहन क्या अपराध हमारा जो इतना तुम सताते हो
अपनी इक झलक के लिए जन्मो से हमे तड़पाते हो
बंसी की मधुर धुन से रागिनियों को बजाते हो
अपनी बंसी की धुन बजा हमे पागल बनाते हो
बंसी को भी तुम अधरामृत पिलाते हो
… …उसे होंठो से छूकर उसे धन्य बनाते हो
और हमको तुम चरणों से भी क्यों दूर बिठाते हो
हमारा दिल छीन कर क्यों यूँ मुस्कराते हो
हमारे सजल नेत्रों से अश्रु जल गिराते हो
मोहन मेरे मन में समा जाओ
मोहे ना इतना सताओ..
जय श्री राधे 🙏🌹
Mohan, what is my crime that you torment me so much? You have been tormenting us since our lives just for a glimpse of you. You play the notes with the sweet tune of the flute. You make us crazy by playing your flute. You make Bansi drink half-drinking liquor too. … …you make him blessed by touching him with your lips And why do you make us sit away from your feet? Why do you smile like this after snatching our hearts? You shed tears from our watery eyes Mohan, enter my mind Mohe, don’t torture me so much..
Jai Shri Radhe 🙏🌹