क्यों आज पड़ गये है तेरे जुबा पे ताले
मैं तुझसे पूछता हु दुनिया बनाने वाले,
कसे धर्म के शिकंजे रोटी कुरान गीता,
अब राम के ही हाथो छली जा रही है सीता ,
वो घर के चिरागों ने घर अपने फुक ढाले
मैं तुझसे पूछता हु दुनिया बनाने वाले,
दो दिन की जिन्दगी है उचे ख्याल अपने
पल की खबर नही है सो साल के है सपने
रूठी सी जिन्दगी है कैसे इन्हें मना ले
मैं तुझसे पूछता हु दुनिया बनाने वाले,
नफरत के आसिए पर नंगा सा नाच क्यों है
सचाइयो पे परदे अब सच को आच क्यों है
रिश्ते हुए है भोजिल कैसे कोई निभा ले
मैं तुझसे पूछता हु दुनिया बनाने वाले,
इंसानियत के पथ पर खतरे हजार होंगे
याहा कत्लेआम होगा घर घर मजार होंगे
दो धीर आस्तीन में यु नाग हम ने पाले
मैं तुझसे पूछता हु दुनिया बनाने वाले,
Why have the locks fallen on your lips today?
I ask you the creator of the world,
How are the screws of religion, the bread, the Quran, the Gita,
Now Sita is being deceived at the hands of Ram.
The lamps of the house cast their own flames
I ask you the creator of the world,
Life is of two days, take care of yourself
There is no news of the moment, so dreams are of the year
It’s a rough life, how to convince them
I ask you the creator of the world,
Why is there an orgy on the base of hate?
Why is the truth on the screen now?
Relationships have happened, how can anyone play
I ask you the creator of the world,
There will be thousands of dangers on the path of humanity
Yaha will be slaughtered, house to house will be tomb
Yu nag in two dheer sleeves we brought up
I ask you the creator of the world,