क्यों गरव करे इस काया का तेरी काया रहेगी ना अरे इंसान
काया तेरी फुल समान क्यों गरवाया है नादान
सदा ना रहेगा इन बागो में दिन का तू है मेहमान
जब टूट पड़ेगा डाली से फिर खुशबू रहेगी ना अरे इंसान
मल मल काया तू धोए देख रूप को मन मोहे
खाक मिट्टी का बना यह पुतला अंत समय मिट्टी होबै
अब मौज मना ले पल भर की यह मौसम रहेगा ना अरे इंसान
छोड़ कपट के सब धंधे नेक राह पर चल बंदे
पार कभी ना होते हैं वह झूठी वासना के फंदे
यहां सत की नाव सदा चलती अब झूठी चलेगी ना अरे इंसान
सतसंगत से ध्यान लगा गीत प्रभु के तोता गा
इसी में तेरी मुक्ति होगी ज्योति हृदय में ऐसी जगा
अब जिस पर हाथ हरि का है उसपे बिपदा रहेगी ना अरे इंसान
प्रेषक नरेंद्र बैरवा गंगापुर सिटी
Why should you be proud of this body?
Why have you made your body look like a fool?
You are the guest of the day in these gardens
When the branch breaks, the fragrance will remain again, oh man
Seeing you wash your body, you love the look
This effigy made of clay will be clay at the end
Now have fun, this season will be there for a moment, hey man
Let all the business of fraud go on the right path.
The traps of false lust are never crossed
Here the boat of Sat is always running, now it will be false, will it not be man?
God’s parrot sang the song meditating with Satsangat
In this your salvation will be light in the heart.
Now the one on whom the hand belongs to Hari will be in trouble, hey man
From Narendra Bairwa Gangapur City