माँ एक बार तो आओ मेरी विनती मान भी जाओ
इस निर्धन की कुटिया के भी सोये भाग जगाओ.
ना रेशम के आसन है न मेवे और मिठाई
भेट चडाने को नही कुछ भी पास मेरे महामाई
चिंतपूर्णी मैया मेरी चिंता मेरी आप मिटाओ
रुखा सुखा जो भी बना है भोग उसी का लगाओ
माँ एक बार तो आओ मेरी विनती मान भी जाओ
हु गरीब तो दोष क्या मेरा
लाल हु मैं भी तेरा अपने इस बेटे से तूने क्यों मैया मुह है फेरा,
याद करू मैं तुम को मेरी भूल तुम बिसराओ
अपने आँचल की छाईआ में दो पल मुझे बिठाओ
माँ एक बार तो आओ मेरी विनती मान भी जाओ
है कमजोर बहुत साँसों की दोर टूट न जाए
आस का दामन मैया मेरे हाथ से छुट ना जाए
कल में युगे बीत गए माँ अब तो कर्म कमाओ
जग को हसाने वाली मैया और न मुझे रुलाओ
माँ एक बार तो आओ मेरी विनती मान भी जाओ
Mother come once, please accept my request
Wake up the sleeping parts of this poor hut too.
Neither silk seat nor dry fruits and sweets
My great mamai has nothing to offer
Chintpurni Maiya, my worry, you remove me
Whatever is made dry, dry and enjoy it.
Mother come once, please accept my request
I am poor, is it my fault?
I am also red, why have you lost my face with this son?
remember me i forget you
sit me in the shadow of your lap for two moments
Mother come once, please accept my request
is weak enough not to break the breath
Maya may not get out of my hand
Ages have passed in yesterday, mother now earn karma
Maya that makes the world laugh and don’t make me cry
Mother come once, please accept my request