सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी,
विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा।
माँ शारदे कहाँ तू वीणा बजा रही हैं,
किस मंजु ज्ञान से तू जग को लुभा रही हैं,
किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है,
विनती नहीं हमारी क्यों माँ तू सुन रही है,
हम दीन बाल कब से विनती सुना रहें हैं,
चरणों में तेरे माता हम सर झुका रहे हैं,
हम सर झुका रहे हैं मां शारदे कहाँ तू,
वीणा………
अज्ञान तुम हमारा माँ शीघ्र दूर कर दो,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में माँ शारदे तू भर दे,
बालक सभी जगत के सूत मात हैं तुम्हारे,
प्राणों से प्रिय है हम तेरे पुत्र सब दुलारे,
तेरे पुत्र सब दुलारे मां शारदे कहाँ तू,
वीणा…..
हमको दयामयी तू ले गोद में पढ़ाओ,
अमृत जगत का हमको माँ शारदे पिलाओ,
मातेश्वरी तू सुन ले सुंदर विनय हमारी,
करके दया तू हर ले बाधा जगत की सारी,
बाधा जगत की सारी मां शारदे कहाँ तू,
वीणा……..
Saraswati Namastubhyam, Varde Kamarupini,
Vidyarambham Karishyami, always in Siddhibhavatu.
Mother Sharde, where are you playing the veena?
With what wisdom are you wooing the world,
Bhavani in what sense are you getting engrossed,
Don’t beg our mother why are you listening,
Since when have we, the poor child, been hearing the request,
We are bowing our heads at your mother’s feet,
We are bowing our heads, Mother Sharde, where are you,
Veena………
Ignorance you remove our mother soon,
May you fill us with fast knowledge, Mother Sharde,
Your children are the yarn of the whole world.
Dearest of our souls, we all cherish your sons,
Where are you, all your sons dear mother Sharde?
Veena…..
Take us merciful and teach us in your lap,
Give us Mother Sharde of the nectar world,
Mateshwari, you listen to our beautiful Vinay,
By doing mercy you take every obstacle in the world,
Where are you all the mother shards of the obstacle world,
Veena………