हंसा नजर नहीं आया प्रेम गुरू,
अंत नजर नहीं आया,
चोंच पांख बिन काया गुरू जी,
म्हारां हंस नजर नहीं आया,
बिना दीप एक देवळ देखियाँ ने,
देव नजर नहीं आया,
उन देवळ म्हारां सतगुरु बैठा,
वही वेद गुण गाया,
गुरूजी म्हारा हंसा नजर नहीं आया….
बिना पाळ एक सरवर भरीया ने,
नीर नजर नहीं आया,
उण तीर म्हारां सतगुरु बैठा,
वही बैठकर न्हाया,
गुरूजी म्हारा हंसा नजर नहीं आया…
म्हारां गुरू सा पाँचौ चेला,
पच्चीस जोगनी लाया,
मृत्यु लोक में भयो अचंभो,
बेटी बाप ने जाया,
गुरूजी म्हारा हंस नज़र नहीं आया
चोंच पांख बिन काया गुरू जी,
म्हारां हंस नजर नहीं आया…
बिना पाँव एक हस्ती देखिया ने,
सूंड़ नज़र नहीं आया,
मच्छंदर जपी गौरख बोले,
आगम देख चलाया गुरूजी,
चोंच पांख बिन काया गुरू जी,
म्हारां हंस नजर नहीं आया….
Didn’t see the laughing love Guru,
Didn’t see the end
Beak feather without body Guru ji,
I didn’t see the swan.
Without the lamp one god has seen,
God did not appear
Those gods, my satguru sat,
He sang the same Vedas.
Guruji Mhara couldn’t see the laughter.
Without a pail, a server filled it,
Neer was not seen,
Those arrows sat the Satguru,
Sitting there and sleeping,
Guruji Mhara couldn’t see the laughter…
My guru sa five disciples,
brought twenty-five jogni,
Fear in the world of death, be surprised
Daughter father went
Guruji mahara swan not seen
Beak feather without body Guru ji,
I didn’t see the swan…
Seeing a celebrity without feet,
trunk was not visible,
Mosquito japi Gaurakh said,
Guruji started watching the fire,
Beak feather without body Guru ji,
I didn’t see the swan.