मैं क्या जानू मेरे रघुराई, तू जाने मेरी किस में भलाई
सहारा तेरा रे, ओ साईं
सारे द्वारे छोड़ भगवन आज मैं तेरे द्वारे आया ।
बाह पकड़ लो अब तो ठाकुर, तेरे दर पर सीस झुकाया ।
इस दुनिया की भीड़ भाड़ में, तेरा ही आधार ॥
सहारा तेरा रे, ओ साईं…
तू हो पारस जिस को छूकर लोहा भी सोना हो जाए ।
तेरी शरण में जो भी आवे वो पापी पावन हो जावे ।
बीच भवर में नैया मेरी अब तो लगा दो पार ॥
सहारा तेरा रे, ओ साईं…
सारे जगत को देने वाले मैं क्या तुझ को भेंट चढ़ाऊँ ।
जिसके स्वांस से आए खुशबू मैं क्या उनको फूल चढ़ाऊँ ।
अपरम पार यही महिमा तेरी कोई ना जाने पार ॥
सहारा तेरा रे, ओ साईं…
What do I know my Raghu Rai, you know what is good for me
Sahara Tera Re, O Sai
Lord, today I have come through you leaving everyone behind.
Take hold of the arm, now Thakur, bowed his sis at your rate.
In the crowd of this world, your base is yours.
Sahara Tera Re, O Sai…
You are Paras, by touching whom iron turns into gold.
Whoever takes refuge in your sinners should become pure.
In the middle of the house, I now put my feet across.
Sahara Tera Re, O Sai…
What should I offer to you, the giver of the whole world?
Should I offer flowers to those whose fragrance comes from their breath?
This glory is beyond limitless, no one knows you.
Sahara Tera Re, O Sai…