मैं नन्दलाल ना भुलाउंगी राणा मारो या छोड़ो,
मारो या छोड़ो राणा मारो या छोड़ो,
श्याम का नाम ना भुलाउँगी…
पहला प्याला जहर का जो आया,
पहला प्याला जहर का जो आया,
अमृत समझ मैंने कंठ लगाया,
अमृत समझ मैंने कंठ लगाया,
कैसे यूँ ही मर जाउंगी,
राणा मारो या छोड़ो,
मैं नन्दलाल ना भुलाउँगी…
दूजा पिटारा जो नागो का आया,
शालिग्राम जी का दर्शन पाया,
ऐसी झांकी कहाँ पाऊँगी,
राणा मारो या छोड़ो,
मैं नन्दलाल ना भुलाउँगी…
तीजी जो शूलों की सेज बिछाई,
फूलों की खुशबु मेरे मन को भाई,
फिर क्यों ना सेज सो जाउंगी,
राणा मारो या छोड़ो,
मैं नन्दलाल ना भुलाउँगी…
चौथे चिता में जो मुझको बिठाया,
गिरधर ने मुझको अमर बनाया,
ऐसी गोदी का सुख पाऊँगी,
राणा मारो या छोड़ो,
मैं नन्दलाल ना भुलाउँगी….
I will not forget Nandlal, kill or leave Rana,
kill or leave Rana kill or leave,
Won’t forget Shyam’s name.
The first cup of poison that came,
The first cup of poison that came,
Understanding the nectar, I throated,
Understanding the nectar, I throated,
How can I die like this?
Rana kill or leave,
I will not forget Nandlal…
The two-box that came from the serpents,
Got the darshan of Shaligram ji,
Where can I find such a tableau?
Rana kill or leave,
I will not forget Nandlal…
Teji who laid a bed of prongs,
The fragrance of flowers fills my heart, brother
Then why won’t I go to sleep?
Rana kill or leave,
I will not forget Nandlal…
The one who made me sit on the fourth pyre,
Girdhar made me immortal,
I will get the pleasure of such a dock,
Rana kill or leave,
I will not forget Nandlal….