माता के द्वार पर जाओ चाहे नाम जपो घर बैठे
माँ सुनती है मन की बोली
करो याद कही पर बैठे
माता के द्वार पर जाओ चाहे नाम जपो घर बैठे
शुद वान गंगा का जल श्री चरणों से बेहता बेहता
अर्ध्कवारी से दरबार का आधा रस्ता रेहता
हाथी मथे की पथरीली कठिन चडाई सेहता
माँ के पास पोंछ जाए राही जय माता की केहता
सिर उसका रहे सदा उचा आंबे जिसके सिर बैठे
माता के द्वार पर जाओ चाहे नाम जपो घर बैठे
यु तो वैष्णम माँ का है पर्वत उपर डेरा
लेकिन मैया करते अपने भगतो बीच बसेरा
झोली भरती विपदा हरती करती दूर अँधेरा
बिन बोले भी ध्यान उसे रेहता है तेरा मेरा
माँ उसकी भूल को बक्शे कोई भुला अगर कर बैठे
माता के द्वार पर जाओ चाहे नाम जपो घर बैठे
बच्चो को माँ प्यारी लगती माँ को बच्चे प्यारे
नेह लगाये कंठ लगाये सब की और निहारे
आँखों में आंसू लेकर क्यों मन से उसे पुकारे
करने को दुःख दूर स्वयम आ जाती उसके द्वारे
जो माता की जय बोले उनको न कोई दर बैठे
माता के द्वार पर जाओ चाहे नाम जपो घर बैठे
Go to mother’s door even if you sit at home chanting the name
mother listens to her mind
do remember sitting somewhere
Go to mother’s door even if you sit at home chanting the name
The water of Shud Van Ganga is better than the feet of Shri.
Half way from Ardhkwari to the court remains
Elephant’s forehead rock hard rock
Be wiped with mother, Jai Mata ki Kehta
May his head always be high
Go to mother’s door even if you sit at home chanting the name
You are Vaishnam Maa’s camp on top of the mountain.
But Maya does her husband’s midst
The darkness removes the calamity
Even without speaking, he cares for you, mine
Mother forgets her mistake, if someone sits there
Go to mother’s door even if you sit at home chanting the name
Children love the mother Mother love the children
Look at everyone and look at them.
Why do you call him with tears in your eyes?
The pain to do would come away by itself
Those who say mother ki jai should not sit at any rate.
Go to the door of the mother, even if you sit at home chant the name