माता पार्वती की स्वीकारोक्ति – श्री राम ब्रह्म हैं।
शंकर जी कहते हैं –
तुम्ह रघुबीर चरन अनुरागी।
कीन्हिहु प्रस्न जगत हित लागी।।
हे पार्वती! तुम श्री रामजी के चरणों की अनुरागिणी हो। तुमने जगत के कल्याण के लिए ही प्रश्न किया है। तुम्हारे प्रश्न के माध्यम से सारा संसार प्रभु श्री राम के बारे में जान पाएगा।
शिवजी कहते हैं –
राम ब्रह्म ब्यापक जग जाना।
परमानंद परेस पुराना।।
श्री राम तो व्यापक ब्रह्म , परमानन्दस्वरूप , परात्पर प्रभु और पुराणपुरुष हैं। इस बात को सारा जगत जानता है।
राम सच्चिदानंद दिनेसा।
नहिं तहं मोह निसा लवलेसा।।
श्री राम सच्चिदानन्दस्वरूप सूर्य हैं। वहां मोहरूपी रात्रि का लवलेश भी नहीं है।
जब श्री राम सूर्य के समान हैं और वहां मोह हो ही नहीं सकता , तब यह सहज ही अपने मन में प्रश्न उठता है कि फिर श्री राम के बारे में मोह कैसे हो रहा है ?
इसका उत्तर देते हुए शिवजी कहते हैं –
निज भ्रम नहीं समुझिहहिं अग्यानी।
प्रभु पर मोह धरहिं जड़ प्रानी।।
यथा गगन घन पटल निहारी।
झापेउं भानु कहहिं कुबिचारी।।
अज्ञानी मनुष्य अपने भ्रम को तो समझता नहीं , उल्टे वह मूर्ख प्रभु श्रीराम पर ही मोह का आरोप कर देता है।
जैसे आकाश में बादलों का पर्दा देखकर कुविचारी (अज्ञानी) लोग कहते हैं कि बादलों ने ही सूर्य को ढक लिया है।
सब कर परम प्रकासक जोई ।
राम अनादि अवधपति सोई।।
जगत प्रकास्य प्रकासक रामू।
मायाधीस ग्यान गुन धामू।।
सभी के परम प्रकाशक अनादि अयोध्यानरेश श्री राम हैं।
यह जगत प्रकाश्य है और श्री राम इसके प्रकाशक हैं। वे माया के स्वामी तथा ज्ञान और गुणों के धाम हैं।
जासु सत्यता ते जड़ माया।
भास सत्य इव मोह सहाया।।
इनकी (प्रभु श्री राम की) सत्ता से मोह की सहायता प्रकार जड़ माया भी सत्य – सी भासित होती है।
सोइ प्रभु मोर चराचर स्वामी।
रघुबर सब उर अंतरजामी।।
वे ही मेरे प्रभु हैं , चराचर के स्वामी हैं, रघुवर हैं और सबके हृदय की बात जानने वाले हैं।
राम सो परमात्मा भवानी।
तहं भ्रम अति अबिहित तब बानी।।
हे भवानी ! वही परमात्मा श्री राम हैं। उनमें भ्रम (देखने में आता) है , तुम्हारा ऐसा कहना अत्यंत ही अनुचित है।
तुलसीदास जी लिखते हैं –
सुनि सिव के भ्रम भंजन बचना।
मिटि गै सब कुतरक कै रचना।।
शिव जी के भ्रमनाशक वचनों को सुनकर पार्वती जी के सब कुतर्कों की रचना मिट गई।
तब पार्वती जी कहती हैं —
राम ब्रह्म चिनमय अबिनासी।
सर्ब रहित सब उर पुर बासी।।
श्री राम ब्रह्म हैं , चिन्मय हैं , अविनाशी हैं और सबसे रहित तथा सब के हृदयरूपी नगरी में निवास करने वाले हैं।
” क्या श्रीराम ब्रह्म हैं ? ” यही प्रश्न तो माता भवानी ने अपने स्वामी शंकर जी से किया था। सब सुनने के पश्चात् माता पार्वती ने स्वयं यह घोषणा कर दी कि श्री राम ब्रह्म हैं।
।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।
Mother Parvati’s confession – Shri Ram is Brahma. Shankar ji says – You are a lover of Raghubir’s feet. Which question is beneficial for the world? Hey Parvati! You are a devotee of Shri Ramji’s feet. You have asked the question only for the welfare of the world. Through your question the whole world will be able to know about Lord Shri Ram.
Shivaji says – Ram Brahma knows the pervasive world. Paramanand Pres Purana. Sri Rama is the pervasive Brahman, the Supreme Bliss, the Supreme Lord and the Purana Purusha. The whole world knows this. Ram Sachchidanand Dinesh. Nahin tahan moh nisa lavlesa।। Sri Rama is the Sun in the form of Sachchidananda. There is no trace of the night of delusion.
When Shri Ram is like the Sun and there can be no attachment, then the question naturally arises in our mind that then how is there attachment about Shri Ram? Answering this, Shivji says – It is not my own illusion that I understand, the ignorant one. Inanimate creature with attachment to God. Like the sky is like a cube. I will kiss you Bhanu, you bitch. An ignorant man does not understand his delusion, on the contrary he blames the foolish Lord Shri Ram for his attachment. Just as ignorant people, seeing a curtain of clouds in the sky, say that the clouds have covered the sun.
Joe is the ultimate publisher of everything. Ram Aadi Avadhapati Soi. Jagat Prakasya Prakasaka Ramu. Mayadhis Gyan Gun Dhamu. The ultimate publisher of all is the eternal Ayodhya King Shri Ram. This world is light and Shri Ram is its publisher. He is the lord of Maya and the abode of knowledge and virtues. Detective truth is rooted in illusion. Bhaas satya ev moha sahayaa. With the help of his (Lord Shri Ram’s) power of attachment, even inanimate illusion appears as truth.
Soi Prabhu Mor Charachar Swami. Raghubar sab ur antarjaami. He is my Lord, the Lord of the pastures, the Raghuvar and the one who knows everyone’s heart. Ram is God’s God. There the confusion became very undefined. Hey Bhavani! That same God is Shri Ram. There is confusion (visible) in them, it is very unfair for you to say so.
Tulsidas ji writes – Listen to Shiva and avoid breaking his illusions. All the creations of sophists will not be destroyed. After listening to the illusion-busting words of Lord Shiva, all the falsehoods of Parvati were erased. Then Parvati ji says – Ram Brahma Chinmay Abinasi. Without any service, everything is stale. Shri Ram is Brahma, Chinmaya, imperishable and resides in the city of everyone’s heart.
“Is Shri Ram Brahma?” This was the question that Mata Bhavani had asked her Swami Shankar ji. After hearing everything, Mother Parvati herself declared that Shri Ram is Brahma.
, Shri Ram Jai Ram Jai Jai Ram.