मेरा गोपाल गिरधारी ज़माने से निराला है।
ना गोरा है ना कला है, वो मोहन मुरली वाला है॥
कभी सपनो में आ जाना, कभी रूपोश हो जाना।
यह तरसाने का मोहन ने निराला ढंग निकाला है॥
कभी वो रूठ जाता है, कभी वो मुस्कुराता है।
इसी दर्शन की खातिर तो बड़ी नाजो से पाला है॥
मज़े से दिल में आ बैठो, मेरे नैनो में बस जाओ।
अरे गोपाल मंदिर यह तुम्हारा देखा भाला है॥
कहीं उखल से बंद जाना, कही ग्वालो के संग आना।
तुम्हारी बाल लीला ने अजब धोखे में डाला है॥
My Gopal Girdhari is unique since time immemorial.
He is neither fair nor art, he is a mohan murli wala.
Sometimes you come in dreams, sometimes you get lost.
Mohan has come up with a unique way of craving this.
Sometimes he gets angry, sometimes he smiles.
For the sake of this philosophy, I have been brought up with great care.
Have fun in your heart, settle in my nano.
Hey Gopal Mandir, this is your spear.
Somewhere to go away from the hustle, somewhere to come with the cows.
Your child Leela has put you in a strange deception.