मेरे प्राणेश मन मोहन तुम्हे ढूँढू कहाँ जाकर,
बड़ा बेचैन हूँ तुम बिन जरा देखो मुझे आकर,
मेरे प्राणेश मनमोहन तुम्हे ढूँढू कहाँ जाकर
तुम्हारी याद आते ही,झड़ी आंसू की लग जाती,
तू फिर फिर दिल में आता है की मर जाऊँ जहर खाकर,
मेरे प्राणेश मनमोहन…….
छिपे हो तुम कहाँ जाकर ना आते हो बुलाने से,
मजा क्या तुमको आता है,मुझे इस तौर तड़पा कर,
मेरे प्राणेश मनमोहन……
ना भूलूंगा कभी उपकार अपने उस हितैषी का,
जो करवा दे मुझे दर्शन कन्हैया को यहां लाकर,
मेरे प्राणेश मनमोहन…….
प्रार्थना ‘राम’ की तुमसे यही कर जोड़ विनती है,
प्रार्थना ‘राम’ की तुमसे,
यही कर जोड़ विनती है,
लिपट जाऊँ तुम्ही से मैं तुम्हे आनंद घन पाकर,
मेरे प्राणेश मनमोहन…….स्वरचित्र विचित्र
Where should my Pranesh Man Mohan go to find you?
I am very restless, come and see me without you,
Where should my Pranesh Manmohan go to find you?
As soon as I remember you, there would be tears of tears,
You come again in my heart to die after consuming poison,
My Pranesh Manmohan…..
Where are you hiding where you do not come from calling,
Do you enjoy, by tormenting me like this,
My Pranesh Manmohan
I will never forget the gratitude of my benefactor,
Whoever makes me get Darshan Kanhaiya brought here,
My Pranesh Manmohan…..
The prayer ‘Ram’ requests you to do the same thing,
Pray ‘Ram’ to you,
That’s what the addition requests,
Let me cling to you after finding you blissful,
My Pranesh Manmohan…….Swarchitra Vichitra