मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ,
ये हैं अंसुवन की धार, ना समझ तू पानी ,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।
जितने बहेंगे आंसू तेरे लिए सांवरे,
कर्ज चढ़ेगा तुझपे उतना ही जानले,
कीमत हर आंसू की पड़ती है चुकानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।
यहां भीगे पलके मेरी वहाँ मुस्कुराये तू ,
भगतों के दिल को बाबा और क्यूँ जलाये तू ,
क्या इसी को कहते हैं प्रभु प्रीत निभानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।
माना के ये आंसू भक्त होते बेजुबान हैं,
लेकिन ये हाल दिल का करते बयान हैं,
पत्थर को गला देता ये खारा पानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।
O my heart’s benefactor,
This is the torrent of Ansuvan, do not understand that you are water,
My heartfelt call to compassion, O benefactor of the head.
The more tears will flow for you,
You will know as much as the debt will rise,
The price has to be paid for every tear,
My heartfelt call to compassion, O benefactor of the head.
Get wet here, smile at me there,
Baba and why do you burn the hearts of the devotees?
Is this what is called Lord Preet Nibhani,
My heartfelt call to compassion, O benefactor of the head.
Believe that these tears are speechless being ‘Sonu’,
But these are the statements of the heart,
This salt water melts the stone,
My heartfelt call to compassion, O benefactor of the head.