ना मूरत में न तीरथ में,ना कोई निज लिफास में,
मुझको कहा ढूंढे बंदे मैं तेरे विश्वास में,
चार दिवारी बनके उसमे मुझको ना मह्फुस करो,
हर पल तेरे साथ खड़ा मैं मुझको ज़रा महसूस करो,
ना मंदिर में ना मस्जिद में ना कासी केलाश में,
मुझको कहा ढूंढे बंदे ………..
मैं नही कहता मोन रहो तुम मैं नही कहता छोर करो
अपना घ्यान किनारे रख के मेरी बात पे गोर करो,
ना जप ताप में ना पूजन में ना वर्त न उपवास में,
मुझको कहा ढूंढे बंदे ……..
मुझपे तो अभिमान है तुमको तुमपे मैं अभिमान करू ,
हारे के साथी बन जाऊ तुमको न मैं ये दान करू,
मैं भूखे की भूख में रेहता मैं प्यासे की प्यास में,
मुझको कहा ढूंढे बंदे ……….
जिसने मुझको पाया उसने कौन से भोग लगाये थे,
नरसी मीरा और सुदामा साथ भरोसा लाये थे,
सोनू जू महसूस कर सके मैं उसके एहसास में,
मुझको कहा ढूंढे बंदे ………
Neither in an idol nor in a tirtha, nor in any personal cover,
Where should I find me, I believe in you,
Don’t make me feel like four walls in it,
Every moment I stand with you, feel me just a little,
Neither in the temple nor in the mosque nor in Kasi Kelash,
Where do you find me?
I don’t say stay silent, I don’t say stop
Keep your attention aside and pay attention to my words,
Neither in chanting nor in worship nor in fasting,
Where do you find me?
I am proud of you, I should be proud of you,
Become a partner of the loser, neither should I donate this to you,
I live in the hunger of the hungry, I live in the thirst of the thirsty,
Where do you find me?
What were the enjoyments offered by the one who found me,
Narsee Meera and Sudama had brought trust together,
I could feel Sonu Ju in his feeling,
Where do you find me?