नैना हुए बाबरे आजा मोरे सॉवरे
दरीया कव तक रखोगे मेरे सॉवरे
इक दिन की ये खातिर चहू और निहारू,
कब आओगे सांवरिया दिन-रात पुकारू,
तेरे ही करम से है मुझे बड़ा लाभ रे
इस उजड़े चमन में कब फूल खिलेंगे,
कब महकेगी कलियां कब हम तुम मिलेंगे,
तेरे ही कर्म से ये खिले मेहताब रे
जग देता है ताना तुम भूल ना जाना,
तेरे प्यार का पागल तेरा ही दीवाना,
तुम बिन अधूरा है मेरे मन का ख्वाब रे
जग के त्रिपुरारी हे कृष्ण मुरारी,
सुन अर्ज हमारी मैै हूं दीन भिखारी,
गोहर के खातिर लेकर आजा मीठे भाव रे
प्रेषक नरेंद्र बैरवा(नरसी भगत)
मो नं-८९०५३९७८१३
रमेशदास उदासी गुप
Naina Hue Babare Aaja More Sovere
Will you keep my sovereign till the river
Chahu and Niharu for the sake of one day,
When will you come to call Saawariya day and night,
I have a big benefit from your karma
When will the flowers bloom in this desolate chaman,
When will the buds smell when we will meet you,
With your karma, this blossomed Mehtab Re
The world taunts you, don’t forget
Your love’s crazy, you’re crazy
my mind is incomplete without you
O Krishna Murari, Tripurari of the world,
Listen, I am a humble beggar,
Take sweet feelings for the sake of cows
From Narendra Bairwa (Narsi Bhagat)
Rameshdas Udasi Group