नजर से नजर यु न श्याम चुराओ,
नजर से नजर को जरा तुम मिलाओ,
नजर से नजर यु न श्याम चुराओ,
निगाहो से अश्को का बादल बरसता,
मगर मीन सा मन फिर भी तरस ता,
है प्यासा ये मन प्यास इसकी भुजाओ,
नजर से नजर यु न श्याम चुराओ,
जुदाई में इतना तेरी जल चुकी हु,
मैं दिखती हु केवल मगर मिट चुकी हु,
जो पहले मिटा हो उसे न मिटाओ,
नजर से नजर यु न श्याम चुराओ,
दिखाऊ तो किस को जखम मैं दिखाऊ,
बताऊ तो किसको मैं दर्द बताऊ,
नहीं कोई मेरा तू ही श्याम आउ,
नजर से नजर यु न श्याम चुराओ,
Do not steal shyam from sight,
Just match your eyes with eyes,
Do not steal shyam from sight,
A cloud of tears rained from the eyes,
But a Pisces heart still yearns,
This thirsty mind is thirsty, its arms are thirsty,
Do not steal shyam from sight,
I have burnt you so much in separation,
I see only but I am lost,
Do not erase what has been lost before,
Do not steal shyam from sight,
If I show, to whom shall I show the wound,
If I tell, to whom should I tell the pain,
No one, you are my shyam.
Do not steal shyam from sight,