नन्द का लाला बांसुरी वाला, बुलावे मोहे गोकुल की नगरी ।
बृज का उजाला काहना निराला, बुलावे मोहे गोकुल की नगरी ॥
भोर में सूजे ना कोई बहाना, कोई बहाना सारे मारेंगे ताना ।
देर से लाए काहे भर के गगरी, बुलावे मोहे गोकुल की नगरी ॥
रात को जाऊं तो डर मोहे लागे, डर मोहे लागे लागे, जग सारा जागे ।
दिन में जाऊं देखे सारी नगरी, बुलावे मोहे गोकुल की नगरी ॥
तुम ही बताओ मैं किस विधि आऊं, किस विधि आऊं कहना, प्रीत निभाऊं ।
साचा तू है झूठी बातें सगरी, बुलावे मोहे गोकुल की नगरी ॥
Nanda’s Lala, the flute-wala, called Mohe the city of Gokul.
The light of Brij is strange, calling the city of Mohe Gokul.
Swollen in the morning, no excuse, no excuse, everyone will taunt.
Why did you bring a lot of Gagri late, calling Mohe the city of Gokul.
If I go at night, I will be afraid, I will wake up with fear.
In the day I go to see the whole city, call me the city of Gokul.
Only you tell me which method should I come, which method should I say, love should follow.
Sacha you are false things, call me the city of Gokul.