ॐ जय साईं नाथ आदि न अंत तुमहरा तुम्हे श्रद्धा रमन हमारा,
धरती पर रह कर प्रभु तुमने तन अम्बर तक विस्तारा,
ॐ जय साईं नाथ आदि न अंत तुमहरा…..
इश्वरइए अलोक लिए प्रभु मानव रूप धरे हो,
चमत्कार ही चमत्कार से तुम सम्पूर्ण भरे हो,
सोभाग्ये जुड़ेतब दर्शन का सो भाग्य मिले सुख का,
ॐ जय साईं नाथ आदि न अंत तुमहरा तुम्हे श्रद्धा रमन हमारा.
हम तो तुमसे जोड़ के बेठे नाते दुनिया वाले,
रूप विराट दिखा कर तूने मन अचिरज में ढाले,
साईं नाथ हमे फिर लौटा दो वाही सहज रूप म्न्हारा,
ॐ जय साईं नाथ आदि न अंत तुमहरा तुम्हे श्रद्धा रमन हमारा,
Jai Sai Nath etc. neither end you, your reverence Raman ours,
Lord, by staying on earth, you extended your body till Amber,
Jai sai nath etc nor end yours…..
May God take on human form for Alok,
You are completely filled with miracles.
So lucky to join, then get the luck of seeing happiness,
Jai Sai Nath etc. neither end you, your reverence, Raman, ours.
We are the people of the world, sitting in connection with you,
By showing the vast form, you molded your mind in astonishment,
Sai Nath return us again Wahi Sahaj Roop Mnhara,
Jai Sai Nath etc. neither end you, your reverence Raman ours,