पधारो जी पधारो जी खाटू के राजा,
नीले पे चढ़ के तू दर्शन दिखा जा,
है तेरे दर्शन को मन मेरा प्यासा,
नीले पे चढ़ के तू दर्शन दिखा जा…………
तरसती है कब से ये मेरी निगाहें,
पलके बिछा कर मैं तक ती हु राहे,
है बेकरार दिल और जिगर में,
बेचेनिया बड रही है नजर में,
थोड़ी तसली तो आकार बंधा जा…………
बजते है मिरदंग ढोलक नगाड़े,
जयकारे गूंजे गगन में तुम्हारे,
दर्शन को आये है तेरे दीवाने,
है सब के होठो पे तेरे तराने,
भगतो की खातिर इक फेरा लगा जा,
नीले पे चढ़ के तू दर्शन दिखा जा……….
भजन गाये दीक्शा लिखे है अनाडी,
जलती है जग मग ये ज्योति तुम्हारी,
दरबार तेरा सजाया है मिल के,
परशाद तेरा बनाया है मिल के,
जल्दी से आके तू भोग लगा जा,
नीले पे चढ़ के तू दर्शन दिखा जा………
Come ji, come ji, the king of Khatu,
Climb on the blue and show me the vision,
My heart is thirsty for your darshan,
Climb on the blue and show me the darshan…………
Since when is my eyes longing,
By laying my eyelids, I reached till
is desperate in heart and liver,
Bechenia is growing in the eyes,
If you have a little peace then the size can be tied…………
Mirdang dholak drums are ringing,
Your cheers echoed in the sky,
Your lovers have come to see you,
Your eyes are on everyone’s lips,
Make a round for the sake of the devotees,
Climb on the blue and show me darshan……….
Diksha is written by singing bhajans, Anadi,
The world burns, this light is yours,
Your court is decorated with mills,
Parshad is made by you,
Come quickly and enjoy
Climb on the blue and show me the darshan………