सुबह सवेरे घर से निकल जाते हैं
मेरे पापा दाना पानी लाते हैं ।
कब जागते, कब सोते हैं पता नहीं,
मेरे पापा दाना पानी लाते हैं ॥
किस वक़्त कहा होते हैं पता नहीं,
एक अकेले घर का भोझ उठाते हैं ।
मेरे पापा दाना पानी लाते हैं…
सात समुन्दर पार से, गुड़ियों के बाज़ार से,
अच्छी सी गुडिया लाना, गुड़िया चाहे ना लाना,
पापा जल्दी आ जाना, पापा जल्दी आ जाना
खुद बीमार हो, अपनी चिंता नहीं करते,
हमको छींक भी आये पापा बहुत डरते
खुद दवाई लेने जाते हैं,
मेरे पापा दाना पानी लाते हैं…
मुझको कहते खूब पढो, विद्वान बनो
पढ़ लिख कर तुम एक नेक इंसान बनो
अपने दुःख दर्दो को सबसे छुपाते हैं
मेरे पापा दाना पानी लाते हैं…
सबके पापा सुखी रहे, खुशहाल रहें
‘चंचंल’ बनके बच्चो की वो ढाल रहें
हर संकट से पापा हमे बचाते हैं
मेरे पापा दाना पानी लाते हैं…स्वरनरेन्द्र चंचल
leave home early in the morning
My father brings grain and water.
I don’t know when I wake up, when I sleep
My father brings grain water.
I don’t know what time it was
Taking care of a single home.
My father brings me water…
From across the seven seas, from the market of dolls,
Bringing a good doll, the doll may not be brought,
Papa come early, father come early
Get sick yourself, don’t worry about yourself,
We even sneezed, papa is very afraid
go to take medicine
My father brings me water…
Tell me read a lot, be a scholar
Be a good person by reading and writing
hide your sorrows
My father brings grain water…
May everyone be happy, be happy
Be that child’s shield by being ‘playful’
Papa saves us from every crisis
My father brings grains of water…Swarnarendra Chanchal