राम कहो या कृष्ण कहो तुम ये है पावन नाम सदा,
जिन्हे भी चाहो इष्ट बना लो दोनों ही सुख धाम सदा,
त्रेता में जन्मे थे रघु वर सूर्य वंश के राज कुमार,
द्वापर में श्री कृष्ण पधारे चाँद वंश ले अवतार,
मर्यादा पुरषोतम एक है बहु रुपियाँ है दूजा,
जिन्हे भी चाहो इष्ट बना लो दोनों ही सुख धाम सदा,
महलो में जब जन्मे रघु वर कोई नहीं सो पाया था,
कारा वास में जन्मे कान्हा जाग कोई न पाया था,
माता दूध पिया था राम ने वृंष्टि रहे थे कृष्ण सदा,
जिन्हे भी चाहो इष्ट बना लो दोनों ही सुख धाम सदा,
झूठे बेर राम ने खाये कृष्ण सदमा के कंदुल,
सागर रास्ता दिए राम को सांवरिया को यमुना जल,
रावण का वध राम ने किना कृष्ण कंस का काल बना,
जिन्हे भी चाहो इष्ट बना लो दोनों ही सुख धाम सदा,
धनुष वान ले हाथ राम जी स्वयं लड़े थे पापी से,
हाथ सुदरसन चकर ले कान्हा बने स्वार्थी साथी के,
राम चतिर गरंथ राम का गीता कृष्ण का गरंथ यहाँ,
जिन्हे भी चाहो इष्ट बना लो दोनों ही सुख धाम सदा,
Say Ram or say Krishna, you are the holy name forever,
Make whomever you wish, both the abode of happiness always,
Raghu was born in Treta and Raj Kumar of Surya dynasty,
In Dwapar, Shri Krishna came to take the moon dynasty incarnation,
Maryada Purshotam is one, many rupees are two,
Make whomever you wish, both the abode of happiness always,
When Raghu was born in the palace, no one could sleep.
Born in prison, no one could find Kanha awake,
Mother had drank milk, Ram had been raining, Krishna was always there,
Make whomever you wish, both the abode of happiness always,
The false plum ram ate Krishna’s shock buds,
The ocean gave way to Ram, Yamuna water to Saawariya,
Rama killed Ravana, why Krishna became Kansa’s time,
Make whomever you wish, both the abode of happiness always,
Ram ji himself had fought with the sinner,
By turning his hand, Kanha became a selfish partner,
Ram Chatir Granth Ram’s Gita Krishna’s text here,
Make whomever you wish, both the abode of happiness always,