राम को जब तिलक की तैयारी हुई,
फिर तो खुशियाँ अयोध्या में भारी हुई,
चंद घड़ियों में बदली ख़ुशी की घड़ी,
एक दासी ने कर दी मुसीबत खड़ी,
रानी कैकई को मंथरा ने भड़का दिया,
यह बचन मांगों राजा से समझा दिया,
राज गद्दी हो मेरे भरत के लिए,
राम बनबास चौदह बरस के लिए
राजा दशरथ यूं रो रो के कहने लगे,
हाय बनबास मेरा दुलारा गया
लुट गए मेरे अरमान मेरी ख़ुशी,
टूट कर मेरी आँखों का तारा गया
क्या मिलेगा तुम्हें ऐसी जिद ठान कर,
इस तरह से न खेलो मेरी जान पर,
कैसे जीना हो मुश्किल पड़ी प्राण पर,
जब कि बनबास प्राणों का प्यारा गया
भाई लक्ष्मण व सीता भी संग हो लिए,
सब ने माता पिता के चरण छू लिए,
आज्ञा दो बचन अपना पालन करें,
राम ह्रदय से ऐसा पुकारा गया
राम लक्ष्मण सिया बन को जाने लगे,
रीति रघुकुल की रघुवर निभाने लगे,
इस तरह से किया देखो पूरा बचन,
होनी बलबान जिसको न टारा गया
When Ram got ready for Tilak,
Then the happiness became heavy in Ayodhya,
The clock of happiness changed in a few moments,
A maid made trouble,
Queen Kaikai was provoked by Manthara,
This pleading demands explained to the king,
Be the throne for my Bharat,
Ram Banbas for fourteen years
King Dasharatha started crying like this,
hi banbas my darling gaya
My desires were robbed of my happiness,
the apple of my eye is broken
What will you get by making such determination,
Don’t play like this on my life,
How to live is difficult on life,
When Banbas was dear to life
Brothers Lakshmana and Sita also joined
Everyone touched the feet of the parents,
Let the promise obey you,
Ram was called from the heart
Ram Lakshman started going to Siya Ban,
Riti started playing Raghuvar’s Raghuvar,
Look at the whole promise done in this way,
To be Balban who was not stared