सांवरिया ने मोहे अपने रंग रंगली नि,
मुरली की मीठी तान सुना के,
अपने वस मोहे की नि
सांवरिया ने मोहे अपने रंग रंगली नि,
व्याकुल व्याकुल अब रहती मैं,
पीड़ा विरहा की अब सेहती मैं,
रात रात मैं जागु मैं तो,निंद्रा मोहि छीनी
सांवरिया ने मोहे अपने रंग रंगली नि,
कैसा मुझको रोग लगाया,
खुशबु बन सांसो में समाया,
कशु न दिखे कशु ना ही सूजे,
वैरागन कर दीनी,
सांवरिया ने मोहे अपने रंग रंगली नि,
मनवा कहे न अब है लागे याद में इसकी यादो में जागे,
कौन सुने अब का को सुनाऊ प्रीत मो को भी ही नी,
सांवरिया ने मोहे अपने रंग रंगली नि,
Saawariya flaunts her colors.
Hearing the sweet melody of the murli,
for your love
Saawariya flaunts her colors.
Distraught Distressed now I live,
I am now healthy because of pain,
I wake up in the night, I have snatched my sleep
Saawariya flaunts her colors.
How did I get sick?
Became a fragrance, engulfed in my breath,
The cough does not appear, nor does it swell,
Vairagan Kar Dini,
Saawariya flaunts her colors.
Manwa says that now is not the time, wake up in remembrance of it,
Who should listen to Ka, now I should listen to Preet Mo too,
Saawariya flaunts her colors.