मुकट जयपुर से है मंडावा साथ सोने का छतर भी लाया,
हाथ में चूरमे की थाली साथ में टाबर और घरवाली,
फूल की माला कंठ का काला श्याम लगा के जाऊँगा,
दर पे आया पेहली बारी सुन के तेरी महिमा भारी,
श्याम मैं खाटू में आया.,
कुरता पयामा कदे न पेहनेया वो भी पहन के आ गया,
माला मनका कदी न फेरी वो भी फेर के आ गया,
गले में लटके श्याम के पटके निशान चढ़ा के जाऊँगा,
दर पे आया पेहली बारी सुन के तेरी महिमा भारी,
श्याम मैं खाटू में आया.,
लाडू चूरमा खाते खाते काम बना दे सारे,
भगतो को लखपति बना दे तेरा इक इशारा,
भगत जो सांचे वही तो नाचे निशाँ चढ़ा के जाऊँगा,
दर पे आया पेहली बारी सुन के तेरी महिमा भारी,
श्याम मैं खाटू में आया.,
इतनी किरपा कर दे बाबा दर दर मैं न मैं भटकु,
इतना देदे माल सांवरियां गिनता गिनता थक यु,
काम मेरा करदे झोली मेरी भर दे के मित्तल मान जाऊँगा ,
दर पे आया पेहली बारी सुन के तेरी महिमा भारी,
श्याम मैं खाटू में आया.,
Mukat is from Jaipur, Mandawa also brought a golden umbrella with him,
A plate of churma in hand, along with the tabor and the householder,
I will go with a garland of flowers, black and white on the throat,
Your glory is heavy after hearing the first turn at the door
Shyam I came to Khatu.,
He didn’t wear a pyama kurta, he also came wearing it.
The rosary of beads did not turn around, that too came back.
I will go with the scars of Shyam hanging around his neck.
Your glory is heavy after hearing the first turn at the door
Shyam I came to Khatu.,
Make everything work by eating laddu churma,
Your only gesture to make devotees into millionaires,
Bhagat, whatever the mold is, I will dance and climb the target,
Your glory is heavy after hearing the first turn at the door
Shyam I came to Khatu.,
Baba, please do so much that I don’t wander from door to door.
You are tired of counting so many dede maal saawariyas,
I will accept Mittal by filling my bag with my work,
Your glory is heavy after hearing the first turn at the door
Shyam I came to Khatu.,