श्याम मुरली तो बजाने आओ,
रूठी राधा को मनाने आओ ।
ढूँढती है तुझे ब्रज की बाला,
रास मधुबन में रचाने आओ ।
राह तकते हैं यह गवाले कब से,
फिर से माखन को चुराने आओ ।
इंद्र फिर कोप कर रहा बृज पर,
नख पर गिरिवर को उठाने आओ ।
अपने ‘शर्मा’ को फिर से मनमोहन,
पाठ गीता का पढ़ाने आओ ।स्वरलखबीर सिंह लक्खा
Come play the Shyam Murli,
Come to persuade Ruthi Radha.
Braj’s daughter finds you,
Come to compose the raas in Madhuban.
Since when do these cowherds walk on the road?
Come again to steal the butter.
Indra is again angry at Brij,
Come lift Girivar on his nails.
Manmohan to his ‘Sharma’ again,