ठेहर जाए मानव कहा जा रहा है
साईं दर में आ क्यों भटकता फिरा है
ठेहर जाए मानव कहा जा रहा है
कर्म तेरा तुझको है डूबाये,
फिर क्यों पाप में हाथ रमाये
कल की करले तू जो चिंता
आत्मा तेरी मुकत हो जाए
फिर क्यों भटकता
क्यों है भेह्कता सुन्दरता मन की क्यों घटाए
ठेहर जाए मानव कहा जा रहा है
भाग रहा है दुनिया दुनिया का बस साईं को वक़्त नही है
जुआ तेरा जीवनं नशा तेरी शाम तेरा जीवन धुएं समान
खुद के जीवन के को लुटेरे धन तेरा ही लुटा जा रहा है
ठेहर जाए मानव कहा जा रहा है
Wait human being said
Why is he wandering in Sai Dar?
Wait human being said
Your karma is yours to drown you,
Then why indulge in sin?
You worry about tomorrow
may your soul be free
then why wander
Why is the beauty of the mind, why should the mind decrease
Wait human being said
The world is running away, the bus of the world has no time for Sai
Gambling, your life, intoxication, your evening, your life is like smoke
Your own money is being robbed by the robbers of your own life.
Wait human being said