ठहरी नहीं ये उम्र भी ढलती चली गयी,
आदत पुरानी लीक पे चलती चली गयी,
हम चाहते थे होवे हरी की उपासना,
दिन रात मगर वासना छलती चली गयी,
दुनिया में दिखा सब कुछ लेकिन मिला न कुछ,
बेबस जवानी हाथ भी मलती चली गयी,
सोचा था संभल जायेंगे सुधरेंगे मगर फिर,
गलती पे गलती बस होती चली गयी,
राजेश्वर श्री राम की जिनपे हुई कृपा,
केवल उन्ही की ज़िन्दगी फलती चली गयी,
This age did not stop, even this age kept on passing,
Habit went on old rut,
We wanted to worship Hari,
Day and night but the lust went on deceiving,
Everything was shown in the world but nothing was found,
The helpless youth went on rubbing its hands,
Thought I would get better but then,
Mistake on mistake just kept happening,
Rajeshwar Shri Ram’s grace,
Only his life went on flourishing,