वो काला एक बांसुरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरी रे ।
माखन चोर वो नंदकिशोर जो,
कर गयो मन की चोरी रे ॥
पनघट पे मोरी बईया मरोड़ी,
मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी ।
पईया परूँ करूँ बीनता मैं पर,
माने ना वो एक मोरे रे ॥
छुप गयो फिर एक तान सुना के,
कहाँ गयो एक बाण चला के ।
गोकुल ढूंढा मैंने मथुरी ढूंढी,
कोई नगरिया ना छोड़ी रे ॥स्वरअनूप जलोटा
That black one with a flute,
Mori rey lost his mind.
The butter thief that Nandkishore,
I have stolen my mind.
Mori baiya twisted on the panghat,
When I said, I broke my pot.
I will be able to pick up on me,
Mane not that one more re
hid then heard a tone,
Where did an arrow go?
I found Gokul, I found Mathuri,