व्यर्थ चिन्तित हो रहे हो.व्यर्थ डर कर रो रहै हो,
अजनमा है ये अमर आत्मा. भय में जीवन खो रहै हो……..
जो हुआ अच्छआ.हुआ. जो हो रहा अच्छा ही है,
होगा जो अच्छा ही होगा.यह नियम सच्चा ही है,
गर भूला दो बोझ कल का.आज तुम क्यों ढो रहे हो,
अजन्मा है ये अमर……….
हुई भुली भूल का फिर.आज पसचाताप क्यू,
कल क्या होगा अनिश्चित है.आज फिर सन्ताप क्यू,
जुट पडो कर्तव्य में तुम.बाट किसकी जो रहै हो,
अजन्मा है ये अमर………..
क्या गया तुम रो पडे. तुम लाये क्या थे खो दिया,
है हुआ क्या नस्ट तुमने.ऐसा क्या था खो दिया,
व्यर्थ गलानी से भरा मन.आसुओ से धो रहै हो,
अजन्मा है ये अमर……….
ले के खाली हाथ आये.जो लिया यही सके लिया,
जो लिया नसीब से उसको .जो दिया यही कर दिया,
जान कर दस्तूर जग क्यू परेशान हो रहै हो,
अजन्मा है अमर…….
जो तुम्हारा आज है.कल वो ही था किसी ओर का,
होगा परसो जाने किसका. यह नियम सरकार का,
मग्न हो अपना समझना.दुखों को संजो रहे हो,
अजन्मा है ये अमर……..
जिसको तुम मृत्यु समझते. है वही जीवन तुम्हरा,
है नियम जग का बदलना. क्या पराया क्या तुम्हारा,
एक छड़ में कंगाल हो.छड़भर में धन से मोह रहै हो,
अजन्मा है ये अमर………
तेरा मेरा बड़ा छोटा. भेद ये मन से हटा दो,
सब तुमहारे तुम सभी के . फासले मन से हटा दो,
कीतने जन्मो तक करोगे . पाप कर तुम जो रहे हो,
अजन्मा है अमर……………..
है किराये का मकान .ना तुम हो इसके ना तुम्हारा,
पांच ततवो से बना घर.देह कुछ दिन का सहारा ,
इस मकान में हो मुसाफिर .किस कदर यू सो रहै हो,
अजन्मा है अमर………..
उठो अपने आप को .भगवान को अर्पित करो,
अपनी चिंता ,शोक और भय . सब उसे अर्पित करो,
है वो ही उत्तम सहारा . क्यों सहारा खो रहै हो,
अजन्मा है अमर……….
जब करो जो भी करो .अर्पण करो भगवान को,
सदा कर दो समर्पण .त्याग कर अभिमान कर,
मुक्ति का आनन्द अनुभव. सर्वदा क्यू खो रहै हो,
अजन्मा ह अमर आत्मा .भय में जीवन खो रहे हो,
व्यर्थ चिंतित हो रहे हो. व्यर्थ डर कर रो रहे हो
अजन्मा है अमर आत्मा भय में जीवन खो रहे हो…
You are worrying in vain. You are crying in vain fear,
Unborn is this immortal soul. Losing life in fear………
Whatever happened, it happened. Whatever is happening is good
Whatever will happen will be good. This rule is true,
Please forget the burden of yesterday. Why are you carrying today,
Unborn, this immortal…………
Why did you repent today?
What will happen tomorrow is uncertain. Why the anguish again today,
Get involved in your duty.
Unborn, this immortal………..
Did you cry? you lost what you brought
What happened to you. What was so lost,
A mind full of futile fumes. You are washing it with tears,
Unborn, this immortal…………
Come empty handed.
Whatever he took, he was lucky.
Knowing why the world of Dastur is getting upset,
The unborn is immortal…….
What is yours today. Yesterday it was someone else’s,
Whose will it be? This rule of the government,
Be engrossed in understanding yourself. You are cherishing your sorrows,
Unborn is this immortal………
whom you consider death. That’s your life
Rules are changing of the world. What is yours?
Be a pauper in one rod.
Unborn is this immortal………
Your my big little. Remove this distinction from your mind,
All of you all of you. Remove the distance from the mind,
For how many births will you do it? who you have been committing sin,
The unborn is immortal……………..
It is a rented house. It is neither you nor yours,
A house made of five elements. The body is the support of a few days,
You are a traveler in this house. How are you sleeping,
The unborn is immortal………..
Arise. Offer yourself to God,
Your worries, sorrows and fears. give it all
That is the best help. Why are you losing support?
The unborn is immortal………
Whenever you do whatever you do. Offer it to God,
Always surrender. Give up and be proud,
Experience the joy of liberation. Why are you always getting lost?
The unborn are immortal souls. Losing life in fear,
Worrying in vain. crying in vain
The unborn immortal soul is losing life in fear…