ये भाग्य अभागे का जगा दो हे राम जी,
करुणानिधान भोग लगा दो हे राम जी,
शबरी के मीठे बेर ये तंदुल विदुर के हैं,
ठुकरा ना देना इनको ये दो टूक दिल के हैं,
अम्रित मेरे भोजन को बना दो हे राम जी,
करुणानिधान…..
अर्पण है प्रभू आपको ये भेंट दास की,
ज्योती जलाये बैठा हूँ मुद्दत से आस की,
कब आयोगे ये बात बता दो हे राम जी,
करुणानिधान……
कहतें हैं कोई आप सा दीलेर नहीं है,
प्रभू आप के घर देर है अन्धेर नहीं है,
हो कितने दयावान दिखा दो हे राम जी,
करुणानिधान…..
जो रूठोगे प्रभू तो मैं भी रूठ जायुंगा,
खाओगे नहीं तुम जो तो मैं भी ना खायुंगा,
ये ज़िद है मेरी आज पुगा दो हे राम जी,
करुणानिधान……..
Wake up this fate of the unfortunate, O Ram ji,
Offer Karunanidhan Bhog, O Ram ji,
These sweet berries of Shabari belong to Tandul Vidur,
Don’t give up, these are bluntly of the heart,
Make my food Amrit, O Ram ji,
Karunanidhan…..
It is an offering, Lord, you have given this gift to the servant.
I am sitting with the light lit, hoping for a long time,
Tell me this when the commission, O Ram ji,
Karunanidhan……
It is said that no one is brave like you,
Lord, your house is late, there is no darkness,
Show me how merciful you are, O Ram ji,
Karunanidhan…..
Whoever gets upset, Lord, I will also get angry,
You will not eat what I will not eat,
This is my stubbornness, give me today, O Ram ji,
Karunanidhan…….