ये गर्व भरा मस्तक मेरा प्रभु चरण धूल तक झुकने दे,
अहंकार विकार भरे मन को, निज नज़्म की माला जपने दे,
ये गर्व भरा मस्तक मेरा..
मैं मन के मैल को धो ना सका,ये जीवन तेरा हो ना सका,
हाँ..हो ना सका,मैं प्रेमी हूँ, इतना ना झुका,
गिर भी जो पड़ूँ तो उठने दे,
ये गर्व भरा मस्तक मेरा..
मैं ज्ञान की बातों में खोया और कर्महीन पढ़कर सोया,
जब आँख खुली तो मन रोया, जग सोये मुझको जगने दे,
ये गर्व भरा मस्तक मेरा..
जैसा हूँ मैं खोटा या खरा,निर्दोष शरण में आ तो गया,
हाँ..आ तो गया,इक बार ये कह दे खाली जा,
या प्रीत की रीत झलकने दे,
ये गर्व भरा मस्तक मेरा..स्वरहरी ॐ शरण
Let this proud head bow down to the dust of my Lord’s feet,
Let the mind filled with egoism, chant the rosary of your najam,
This head of mine full of pride..
I could not wash away the dirt of my mind, this life could not be yours,
Yes.. could not be, I am a lover, do not bow down so much,
Even if I fall, let me get up.
This head of mine full of pride..
I was lost in the words of knowledge and slept after reading actionless,
When the eyes opened, the mind cried, let the world sleep, let me wake up,
This head of mine full of pride..
Whether I am true or false, I have come to the innocent refuge,
Yes.. it has come, once you say this, go empty,
Or let the way of love be reflected,
This proud head is mine..Swarhari Om Sharan