युग युग बीते लेते लेते साईं नाम तुम कब बुलाओ गे अपने धाम,
जीने में अब कोई अर्थ ना रहा लगे सारा जीवन वेअर्थ ही रहा,
मतलबी जहान में मेरा नही कोई कम ,
तुम कब भुलाओ गे अपने धाम….
अपनों ने हमको समजा ना अपना गेरो के सहारे जीएगे अब ना,
वैसे भी यह ज़िन्दगी की ढल चुकी है शाम,
तुम कब भुलाओ गे अपने धाम…..
मेरा यह जीवन तुज्को है अर्पण तेरे दवार पर काटे बाकि कुछ शन,
साईं तेरा दवार ही आखरी हो मक़ाम,
तुम कब भुलाओ गे अपने धाम…….स्वरअनूप जलोटा
As the ages pass by, when will you call the name Sai to your abode,
There is no meaning in living now, the whole life remains only meaning,
I have no less in the mean world,
When will you forget your Dham….
Our loved ones do not understand us, they will live with the help of their own gyro, now neither,
Anyway, this is the evening of life,
When will you forget your Dham…..
This life of mine is tujko;
Sai your door is the last place,
When will you forget your abode…….Swaranoop Jalota