हे भगवान नाथ आज मैं तुम्हें कैसे नमन और वन्दन करू। आज ये दिल ठहर ठहर कर भर आता है। ऐसे में मेरे स्वामी भगवान नाथ चिन्तन हो तो कैसे हो। हे स्वामी भगवान नाथ आज दिल में एक ही विचार कोंध जाता है की मैने भगवान नाथ श्री हरी को सच्चे रूप में ध्याया नहीं है ये जीवन व्यर्थ ही गवा दिया। देखना तो यह है कि अन्दर पवित्रता कितनी आई है। भगवान नाथ के चरणो में सच्चे तोर पर न्योछावर हुई या मन के बहलाव में ही अटकी रही।जय श्री राम अनीता गर्ग
Oh Lord Nath, how can I bow and bow down to you today? Today this heart is filled with pauses. In such a situation, if my lord Bhagwan Nath is thinking, then how can it be? O Swami Bhagwan Nath, today only one thought strikes in my heart that I have not meditated on Lord Nath Shri Hari in the true form and lost this life in vain. It has to be seen that how much purity has come within. Was it truely invited at the feet of Lord Nath or stuck in the guise of the mind.Jai Shri Ram Anita Garg