भगवान् मेरा है मै भगवान की हूं। मुझे आज और अभी भगवान से सच्चा और पका सम्बन्ध बनाना है। भगवान् मेरा है। भगवान् कही बाहर नहीं परम पिता परमात्मा मुझमें समाये हुए हैं। मै अपने परमात्मा को हृदय की गहराई में छुपा लुगी। हृदय में बिठाकर दिल ही दिल में अपने स्वामी की वन्दना कर लुगीं। जब हृदय में स्वामी आ जाएगे। तब हृदय में प्रेम का दीपक प्रज्वलित हो जाएगा। वाणी मौन हो जाएगी। मै झुमुगी नाचुगी प्रभु मे खो जाऊंगी।
भक्त के दिल में भाव की जागृति होती है तब भक्त को हर तरफ भीतर और बाहर भगवान दिखाई देते हैं। भक्त दिल से झुमता है नाचता है
मन को पकड़ कर रखना ही भगवान को पकड़ना है मन कहीं भी नहीं जाता है तब व्यक्ति दिल को टटोलता है दिल की सुनता है दिल प्रभु प्राण नाथ के प्रेम से सराबोर हैं दिल में भगवान विराजमान हैं जंहा आनंद की गंगा बहती है। जय श्री राम
अनीता गर्ग
God is mine, I am God’s. I want to have a true and ripe relationship with God today and now. God is mine. God is nowhere outside, the Supreme Father, the Supreme Soul, is contained in me. I will hide my God in the depths of my heart. Sitting in my heart, I will worship my master in my heart. When the master will come in the heart. Then the lamp of love will be lit in the heart. The voice will become silent. I will dance the jhumugi and get lost in the Lord.
When Bhava is awakened in the heart of the devotee, then the devotee sees God on every side, inside and out. The devotee dances with the heart
To hold the mind is to hold God, the mind does not go anywhere, then the person gropes the heart, listens to the heart, the heart is filled with the love of Prabhu Pran Nath, God is seated in the heart where the Ganges of joy flows. Long live Rama Anita Garg