सच्चे भक्त के दिल की एक ही पुकार होती है कि किस प्रकार मेरे स्वामी भगवान् नाथ का मै बन जाऊँ । हे स्वामी भगवान् नाथ तुम ही आत्मा हो और तुम ही परमात्मा हो। एक भक्त के दिल में दर्शन की तङफ हर पल सोते जागते उठते-बैठते बनी रहती है। भक्त के दिल में संसार के प्रति कोई कामना नहीं रहती है।भक्त संसार में रहते हुए भी संसार का नहीं है। भक्त कर्म करता है साथ में भगवान भी रहते हैं। भगवान भक्त की सांसो में समाए हुए है।भक्त कभी आनंद विभोर होता है तो कभी प्रभु की याद में आंसू बहाता है। परमात्मा की याद में खाना पीना सोना भुल जाता है। कैसे भगवान के दर्शन हो दिल की धड़कन पुकारती है। हे नाथ तुम मुझे छोड़ कर कहा चले गए। मेरे प्रभु कभी-कभी तो तुम मुझे हर स्पर्श में दिखाई देते हो और कभी तुम दिल में आ जाते हो फिर भी मैं तुम्हें देख नहीं पाती हूं ।
हे प्रभु! हे स्वामी! हे भगवान् नाथ! मिलन भी होगा या ये जीवन ऐसे ही बह जाऐगा ।
कब कोन घङी होगी जब तुम मेरे सामने होगे, दिल की आरजू दिल में ही रह जाएगी। नहीं है कोई साथी मेरा साथी मेरे बन जाओ। दिल की ये धङकन घङी घङी पुकार रही। आओ मेरे प्रियतम आओ मेरे स्वामी, ढूँढते है ये लोचन हमारे प्रभु तुम कब दर्श दिखाओगे।
अ हवाओ! तुमनें मेरे प्रियतम को देखा होगा। प्रभु अपने दिल की कहो किसे बताऊ तुम मुझे दिखाई नहीं देते हो। पृथ्वी पर मुझे ऐसा कोई दिखाई नहीं देता है। जिसे मैं अपने दिल की कहु दिल की तो प्राण नाथ ही जान सकते हैं। दर्दे ए दिल क्या बताऊँ तुम्हे दिल ही मेरे पास नहीं है दिल तो स्वामी के चरणों में नतमस्तक हो गया है। भक्त और भगवान की लीला के लिए शब्द छोटे पङ जाते हैं । जय श्री राम
अनीता गर्ग
There is only one call in the heart of a true devotee that how can I become my master, Lord Nath. O Swami Bhagwan Nath, you are the soul and you are the Supreme Soul. In the heart of a devotee, the vision of Darshan keeps on waking up and sitting every moment. There is no desire for the world in the heart of the devotee. The devotee does not belong to the world even though he is in the world. The devotee does the work, along with the Lord also lives. The Lord is absorbed in the breath of the devotee. Sometimes the devotee is filled with joy and sometimes sheds tears in the memory of the Lord. In remembrance of God, you forget to sleep and eat. The heartbeat calls out how to have a vision of God. Oh Nath, where have you left me and gone? My lord sometimes you see me in every touch and sometimes you come in my heart still I can’t see you. Oh God! O lord! Oh Lord Nath! There will also be a meeting or this life will flow like this. When will there be a need, when you are in front of me, the love of the heart will remain in the heart. I don’t have any partner, become my partner. This thumping of the heart was calling the clock. Come my dear, come my lord, let’s find out when our Lord will show you the vision. Oh wind! You must have seen my dear. Lord, tell your heart, whom to tell, you do not see me. I don’t see anyone like this on earth. Whatever I say from my heart, then only Pran Nath can know. Darde-e-dil, what should I tell you, I do not have my heart, my heart has bowed down at the feet of the lord. Words are short for the leela of the devotee and the Lord. Long live Rama Anita Garg