मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में


मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में
ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकांत निवास में
ना मन्दिर में ना मस्जिद में, ना काबे कैलास मे
मैं तो तेरे पास में बन्दे, मैं तो तेरे पास में
ना मैं जप मैं ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में
ना में क्रिया करम में रहता, नहिं जोग सन्यास में
नहिं पिंड में नहिं अंड में, ना ब्रहमांड आकाश में
ना मैं प्रकटी भंवर गुफा में, सब स्वांसों की स्वांस मे
खोजी होए तुंरत मिल जाऊ, इक पल की तलाश में
कहत कबीर सुनो भई साधो, मैं तो हूँ विश्वास में

“भक्ति” हाथ पैरो से नहीं होती है। वर्ना विकलांग कभी नहीं कर पाते।

भक्ति ना ही आँखो से होती है वर्ना सूरदास जी कभी नहीं कर पाते।

ना ही भक्ति बोलने सुनने से होती है वर्ना “गूँगे” “बैहरे” कभी नहीं कर पाते।

ना ही “भक्ति” धन और ताकत से होती है वर्ना गरीब और कमजोर कभी नहीं कर पाते।

“भक्ति” केवल भाव से होती है एक अहसास है “भक्ति” जो हृदय से होकर विचारों में आती है और हमारा प्रेम परमात्मा से जुड़ कर रिश्ते में बदल जाता है।

“भक्ति” भाव का सागर है”



Where do you find Moko man, I am near you Neither in a pilgrimage nor in an idol, nor in a secluded abode Neither in the temple nor in the mosque, nor in the Kaaba Kailas I am close to you, I am close to you Neither do I chant, nor do I meditate, nor do I pray Neither I live in action, nor in yoga Neither in the body nor in the egg, nor in the universe sky Neither I appear in the vortex cave, in the breath of all the breaths Searching can be found immediately, looking for a moment Kabir says listen brother, I am in faith

′′ Devotion ′′ is not done by hands and feet. Otherwise the disabled would never be able to do it.

Devotion is neither done with the eyes, otherwise Surdas ji would never have been able to do it.

Neither does devotion happen by listening to speaking, otherwise the “dumb” and “deaf” can never do it.

Neither “devotion” is done by money and power, otherwise the poor and weak can never do it.

′′ Devotion ′′ is only with feelings, there is a feeling ′′ devotion ′′ which comes in thoughts through the heart and our love turns into a relationship by connecting with God.

“Bhakti” is an ocean of feelings.

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